प्राथमिक आग बुझाने के उपकरण

                  प्रत्येक बड़ी आग सर्वप्रथम छोटे रूप में ही आरम्भ होती है | यदि आग उसके इस प्रारम्भिक रूप में ही बुझा दी जाय तो वह भंयकर रूप नहीं ले सकती | अतएव ऐसे हल्के फुल्के यन्त्र जो सरलता से उपलब्ध हो और सुगमता से प्रयोग किये जा सकने के लिए उपयुक्त हो, फर्स्ट एड फाइटिंग अप्लाइंसेज कहलाते हैं |
फर्स्ट एड फायर फाइटिंग अप्लाइंसेज
(First aid fire fighting appliances)
1.    फायर बकेट
2.    फायर बिटर
3.    एजबेस्टस ब्लैकेट
4.    स्ट्रप पम्प
5.    होज रील
6.    केमिकल एक्सटींग्युशर

1. फायर बकेट
(Fire bucket)
इन बाल्टियों को कहते हैं जो विशेषत: आग बुझाने के काम में लाई जाती है | ये दो गैलन अथवा 9 लीटर पानी की क्षमता वाली होती है | इन्हें लाल रंग से रंग दिया जाता है तथा ईन पर काले या सफेद रंग से ‘आग’ या ‘फायर’ लिखा होता है | ये दो प्रकार की होती है |
      1. साधारण चपटे पेंदे वाली (फ्लेट बोटम वाली)
      2. गोल पेंदे वाली (राउंड बोटम वाली)
      जब इन में पानी भरा होता है तो यह वाटर बकेट कहलाती हैं | कभी – कभी इनमें बालू या मिट्टी मिली रेत भरकर भी रखा जाता हैं तब इसे सेंड बकेट कहते हैं |

2. फायर बीटर (fire beater)
      छोटी मोटी आग, जंगल की झाड़ियों, घास के मैदानों या पके खेतो की आग को पीट – पीट कर (बीटिंग मैथड से) के लिए प्रयोग किया जाने वाला उपकरण है |
3 या 4 फिट लम्बे लचकदार डंडे के सिरे पर 9” x 18” के फ्रेम में लोहे की नर्म जली का या किरमिच, बोरी आदि के बनाये जाते हैं |
उदा : सोडियम बाइ कार्बोनेट आग भुझाने में उपयोगी है क्योंकि यह गर्म होने पर Co2  में अपघटित हो जाता है, जिससे आग बुझ जाती हैं |

फायर बीटर को प्रयोग करते समय सावधानियां
(Awareness while using fire beater)
                फायर बीटर का प्रयोग करते समय यह ध्यान रहे कि आग की चिंगारियां कम से कम उड़े | अत: बीटर को कन्धे से उंचा न उठने दिया जाय और इस प्रकार किया जाय की चिंगारियां आग कि ओर ही गिरे, बाहर की ओर नहीं |

3. एज्बेस्टस ब्लैंकेट (Blanket) 
      एज्बेस्टस वास्तव में एक खनिज पदार्थ है जो अपनी ताप अवरोधक क्षमता के लिए प्रसिद्ध है, यानि इसमें आग आसानी से नहीं लग पाती है | इसे रस्सी की तरह बाँटा जा सकता है | इसी पदार्थ का 4’x 4’ यज्ञ 6’x 6’ फिट साइज का कम्बल जैसा बना लिया जाता है | जिसके द्वारा छोटी – मोटी आग को ढांक कर अथवा (स्मदरिंगमैथड) से बुझाया जा सकता है |
 एज्बेस्टस ब्लैंकेट का प्रयोग :-
      ब्लैंकेट को एक ओर पकड़कर अपने हाथों और स्वयं को ढकते हुए आग के निकट से निकट पहुंचकर ब्लैंकेट को आग पर इस प्रकार डालिए कि आग तक किसी ओर से हवा न पहुंच पाये | यदि कोई व्यक्ति के कपड़ों में हो तो उसे ब्लैंकेट से लपेटकर जमीन पर लिटा दीजिए |

4. स्ट्रप पम्प (Stirrup Pump)
यह पानी द्वारा आग बुझाने का यन्त्र हैं | वास्तव में दो शब्दों से मिलकर इसका नाम बना है | एक स्ट्रप दूसरा पम्प | स्ट्रप के अर्थ हैं रकाब या पैर रखने का पायदान | इसे रकाबदार पम्प भी कह सकते हैं | पम्प के साथ 8 मीटर लम्बी, आधा इंच भीतरी गोलाई वाली रबर  और कैनवास से बनी छ्युनिंग या प्लास्टिक का पाईप होता है जिसके अन्तिम सिरे पर एक विशेष नोजल लगी रहती है जो आवश्यकतानुसार पानी को धार या फुँआर के रूप में फैंकता है |
स्ट्रंप पम्प के भाग (parts of strrup pump)
      बैरल, प्लंजर, ट्यूब, पिस्टन वाल्व, हैंडिल, फुटवाल्व, स्टेनर, ग्लैंड नट, स्ट्रंप, डिस्चार्ज पाईप और नोजल आदि | जब स्ट्रंप पम्प का प्रयोग करना होता है तो पम्प के फुटवाल्व वाले भाग को पानी से भरी बाल्टी में रखते है | उस पर पैर रखकर हैंडिल को हाथों द्वारा ऊपर खींचते व नीचे दबाते है | कुछ ही क्षणों में नोजल द्वारा पानी की तेज धार निकलने लगती है | उसी धार से आग को बुझाया जाता है |
स्ट्रप पम्प की आवश्यक देखरेख
(Maintenance of Stirrup Pump)
1.    प्रयोग के पश्चात बैरल एंव डिस्चार्ज पाईप से पानी को पूर्णरूप से निकल कर रखना चाहिए |
2.    पम्प के बाहरी भाग को भली – भांति साप करना चाहिए |
3.    स्ट्रेनर पर यदि कचरा दिखाई पड़े तो उसे भी साफ कर दें |
4.    डिस्चार्ज पाईप को भली भांति गोलाई में लपेट कर फीते से बांध कर रखिए | पाईप में ऐठन या मोड़ न पड़े |
5.    पम्प को सूखे या ठण्डे स्थान पर रखना चाहिए |
6.    महीने में कम से कम एक बार अवश्य चला कर देखते रहना चाहिए ताकि इसके पुर्जे गतिशील बने रहें |
7.    प्लंजर ट्यूब पर हल्का ऑयल लगाकर रख देना चाहिए |
8.    पिस्टन, वाल्व, फुटवाल्व में भी ऑयल केन से तेल देना चाहिए |
9.    गिलैण्ड पैकिंग भी चैक करते रहना चाहिए एवं खराब होने पर बदल देना चाहिए |

5. होज रील (Hose Reel)
      भवन की जलपूर्ति व्यवस्था से आग भुझाने का उपकरण है | इससे एक ही व्यक्ति आग बुझा सकता है | वास्तव में यह रील एक मीटर वाले पोले ठांचे पर बनी होती है | इस ठांचे के उपर एक आउटलेट बना होता है जिसमें 12.20mm या एक इंच डायचमीटर की 20 मीटर से 40 मीटर लम्बे रबर ट्युविंग के दूसरे सिरे पर एक बन्द किया जा सकने वाला नोजल भी लगा रहता है | होज रील का कनेक्शन भवन की वाटर सप्लाई से कर दिया जाता है | तथा एक वाल्व से खोला और बन्द किया जा सकता है | आवश्यकता पड़ने पर इसी वाल्व को खोलकर नोजल से आग बुझा लेते है |
      1. वाल्व खोलिये |
      2. ब्रांच पकड़ाकर आवश्यकतानुसार रील को खोलिये और आग की ओर दौङिये |
      3. आग के स्थान पर पहुंचते ही शट-ऑफ नॉजल खोलकर आग को बुझाने का प्रयास करें |
      4. आग बुझ जाने के पश्चात् वाल्व बंद करके ट्युविंग को पुनः रील पर लपेट दीजिए |
6. पोर्टेबल फायर एक्सटींग्युशर (portable fire extinguisher)
ये बनावट व कार्यनुसार बहुत सी किस्म के होते हैं | जो भवनों में रखी ज्वलनशील सामग्री के अनुसार ही चुनकर रखे जाते हैं | इन्हें चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है |
      2. वाटर टाइप एक्सटींग्युशर
      3. फोम टाइप एक्सटींग्युशर
      4. Co2 एक्सटींग्युशर

      5. केमिकल हाई पाउडर      

टिप्पणियाँ

  1. Chandan Singh Negi23 अक्तूबर 2017 को 3:27 pm
    Fire sprinkler system, fire hydrant system ,MBA system

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  2. Usage of Fire Blanket:

    First, remove the fire safety blanket from the pouch. Then, lay it on top of the area on fire. This cuts of the oxygen and extinguishes the fire.


    Storage of Fire Blanket:

    It is advisable to store the fire blanket in or adjacent to a kitchen. Please avoid storing it too close to a potential hazard area, like on top of a stove.

    जवाब देंहटाएं

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